वो प्यार है मेरा
काव्य साहित्य | कविता दीपक15 Oct 2021 (अंक: 191, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
क्यों याद करूँ मैं उन यादों को,
जिसकी याद में मैं नहीं रहा।
क्यों बात करूँ उसके बारे में,
जिसके पास मुझसे बातें करने का
तनिक भी समय नहीं।
क्या फिर प्यार एकदम नहीं?
नींद, होश और ना जाने क्या-क्या उड़ जाते हैं!
हाँ, यह बात तो है कि,
वो दिल है मेरा
मेरे धड़कन में रहती है।
हाँ, वो याद है मेरी
वो मेरे यादों में रहती है।
हाँ, सुनाई देती है उसकी आवाज़
वो मेरे इर्द-गिर्द में रहती है।
हाँ, वो पसंद है मेरी
वो मेरे रग-रग में रहती है।
और अंत में सिर्फ़ यही कह सकूँगा–
हाँ, वो प्यार है मेरा
वो मेरे दिलो-दिमाग़ में रहती है।
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Khushi Shaw 2021/10/15 03:09 PM
वाह! बहुत बढ़िया।