प्रेम
काव्य साहित्य | कविता दीपक15 Feb 2022 (अंक: 199, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
प्रेम में सभी रहना चाहते हैं
लेकिन प्रेम की धारा में कोई नहीं
प्रेम एक नाम नहीं दर्द है
दर्द . . . मीठे दर्द की अनुभूति
प्रेम कुछ को प्रेमी बनाता है—
कुछ को ईश्वर।
प्रेम एक शब्द नहीं ईश्वर रूपी घाट है
इसे प्राप्त करने के लिए—
हमें गंगा होना पड़ेगा!
प्रेम उस पवित्र प्रार्थना जैसा है
जिसमें
आँखों के रास्ते से
ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं
लेकिन
प्रेम एक शब्द में कहें तो—
यह एक पीड़ा है!
यही पीड़ा का दूसरा नाम पवित्र रिश्ता है
जो मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझमें दिखता है!
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