माँ
काव्य साहित्य | कविता ललित मोहन जोशी1 Aug 2023 (अंक: 234, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
मेरी हर मुश्किल का हल हो तुम
मेरी हर जीत का जश्न हो तुम
मेरी हर हार में संबल हो तुम
मेरी जीवन का आधार हो तुम
तुम में बसते हैं प्राण मेरे माँ
मेरी जीवन की साँस हो तुम
दुनिया का प्यारा रिश्ता है माँ
इस रिश्ते की जननी हो तुम
सारे काव्य भी कम पड़ जाएँ
काव्य की शुरूआत हो तुम
तुममें क्या क्या गुण है माँ
सभी गुणों की खान जो हो तुम
ईश्वरीय रूप हो इस धरा पर
माँ सच में ईश्वर का रूप हो तुम
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टिप्पणियाँ
सुनील 2023/08/02 09:41 AM
साधुवाद ललित जी, बहुत प्यारी और ममतामयी रचना।
Rakesh koli 2023/07/31 10:18 PM
मेरे जीवन का आधार हो तुम..... वाह वाह बहुत खूब
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Mansi joshi 2023/08/03 11:05 PM
मां के लिए अल्फाज भी कम है और आपकी सुंदर सी कविता ने मां शब्द को इतने अच्छे शब्दों में पिरोया है बहुत अच्छा लगा पढ़कर उम्दा प्रस्तुति और शब्द और भाव भी सीधे दिल को छू गए । बहुत सुंदर रचना।