एक झूठ
शायरी | नज़्म ललित मोहन जोशी15 Aug 2023 (अंक: 235, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
एक झूठ मुसलसल बोल रखा है उसने
बाकमाल अँधेरे में रखा है उसने
बस एक तुमसे ही मोहब्बत है कहकर
हमको तड़पता छोड़ रखा है उसने
ख़ैर सच तो हमको भी है मालूम
मोहब्बत के जाल में जो फँसा रखा है उसने
अब ना हम इधर उधर जा पा रहे हैं
हमें जो अपनी क़सम में बाँध रखा है उसने
अब उसे दिल तोड़ना है तो तोड़े
हमने बस अब दिल लगा रखा है उससे
हमारी बेरंग उलझी सी दुनिया में
रंगों की बहार को ला रखा है उसने
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