यहाँ न जाना वहाँ न जाना
काव्य साहित्य | कविता रितेश इंद्राश1 Nov 2023 (अंक: 240, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
यहाँ न जाना वहाँ न जाना
इधर न देखो उधर न देखो
तो कहाँ के हम हैं
लड़की हैं साहब
किसने कहा कि हम कम हैं
आज जहाज़ हम उड़ाते हैं
गोलियाँ हम चलाते हैं
जिधर देखो उधर के हम हैं
हम बहन, माँ, दादी हैं हम ही नानी हैं
हम ही सृष्टि हैं हम ही दृष्टि हैं
हम ही सृजन हैं हम ही बीज हैं
हम नहीं तो तुम कहाँ हो
घर की लक्ष्मी आँगन की तुलसी हम
द्वार का दीपक घर की पहरेदार हम
बच्चों के सिपहसालार हम
तुम्हारे चौकीदार हम
अब बोलो हम नहीं तो तुम कहाँ हो
हम ही मित्र हैं हम ही सखा हैं
हम ही चाँद हैं हम ही सुबह हैं
कहो नौकरानी या समझो तो ख़ुदा है
हमसे जुड़ा तुम्हारा जीवन
तुमसे जुड़ा हमारा जीवन
तुमसे हम हैं या हमसे तुम हो।
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