सफ़र
काव्य साहित्य | कविता रितेश इंद्राश1 Sep 2024 (अंक: 260, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
सफ़र में धूप भी होगी
सफ़र में छाँह भी होगी
सफ़र में राम भी होंगे
सफ़र में रावण भी होगा
बल भुजाओं का दिखाना होगा
मस्तिष्क को जगाना होगा
सफ़र में काँटे भी होंगे
सफ़र में फूल भी होगा
सफ़र आसान ना होगा
सफ़र आसान भी होगा
सफ़र में धैर्य रखना तुम
सफ़र अनजान भी होगा
सफ़र बदसूरत भी होगा
सफ़र ख़ूबसूरत भी होगा
सफ़र जैसा भी होगा
मगर आसान ना होगा
सफ़र में अपमान भी होगा
सफ़र में सम्मान भी होगा
सफ़र ज़िन्दा रहने का
तेरा प्रमाण भी होगा
सफ़र में धरती भी होगी
सफ़र में आसमान भी होगा
सफ़र जैसा भी होगा
मगर अनजान तो होगा॥
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