जात-पाँत खेल कैसा
काव्य साहित्य | कविता रितेश इंद्राश15 Sep 2024 (अंक: 261, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
तुम्हारा काम करें हम
खेतों में खटें हम
तब भी तुम पूछ रहे
तुम बड़े हो कि हम
रात भर जागें हम
पहरेदारी करें हम
जब सोने की बारी हो
तुम बोलो नीचे सोएँ हम
यह जात-पाँत का खेल कैसा
रंग रूप है एक जैसा
ख़ून तेरा भी लाल है
ख़ून मेरा भी लाल है
तब कैसे मैं नीच हूँ
तू कैसे उच्च है
चलो मिलकर अब ख़त्म करें
हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
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