दुश्मन
काव्य साहित्य | कविता रितेश इंद्राश1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
सीमा पर दुश्मन आँख दिखाकर ललकार रहा
सत्ता पर बैठा शासक उसको दुत्कार रहा
जैसे कुत्ते का मालिक कुत्ते को हट हट कहता है
कुत्ता एक क़दम पीछे हट कर फिर क़दम बढ़ाता है
दुश्मन की क्या औक़ात जो आँख दिखाए
भारत माँ के वीर सपूतों से आकर टकराए
खुली छूट दे दो हमको हम दुश्मन के होश उड़ाएँगे
नून, तेल रोटी खाना हो फिर भी जीत दिलाएँगे
सत्ता में बैठे शासक तुम राजनीति चमकाते हो
घर में दुश्मन घुस आया है कड़ा क़दम न उठाते हो।
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