दुत्कार
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ममता पंत1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
आत्मीयता की भूख
बलवती होती है
जब दुत्कारी जाती है वह
अपनों द्वारा
लगते हैं आरोप उसमें
“कहाँ तो पीठ पर लाती भाई ले आई छ्योड़ियों की बाढ़”
पीठ पर भाई!
कैसे लाते हैं
छह साल की बच्ची
है परेशां
अंतर्मन के झंझावातों से . . .
वह विवश है
सोचने को
कि क्या सचमुच में
लड़कियाँ होती हैं बाढ़!
वह भी बहा ले जाती हैं
सब कुछ
जैसे बहा ले जाते हैं
बरसाती नाले
गधेरे और नदियाँ
तो फिर वे
कैसे बसाती हैं परघर
क्या वहाँ भी
दुत्कारी जाती हैं वे
इसी तरह . . .
छ्योड़ियों = लड़कियों
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