अराध देव रुष्ट हो गये!
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ममता पंत15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
आज ओ अराध देव! तुम किधर गये?
देख मेरी दुर्दशा! क्यों रुष्ट हो गये?
द्वारपाल बन गये
सुर-शक्ति से डरकर
दशशीश के दरबार में
सुरलोक छोड़कर
सृष्टि को असहाय देख राम बन गये
आज ओ अराध देव तुम किधर गये?
शक्ति वृत्तासुर की थी
जब तीन लोक पर
त्राहि-त्राहि मच गयी थी
इंद्रलोक पर
इंद्र की विपत्ति में दधीचि बन गये
आज ओ अराध देव तुम किधर गये?
द्रोपदी के चीर को
निर्दोष सोचकर
दौड़ चले नग्न पग
गरुड़ छोड़कर
युद्ध में कौन्तेय के तुम सारथी भये
आज ओ अराध देव तुम किधर गये?
तड़प रहे भूमि में
जब शाप से जलकर
आयी मातु गंग तुम
स्वर्ग छोड़कर
तार दिये पुत्र वो महीप सगर के
आज ओ अराध देव तुम किधर गये?
त्राहि-त्राहि मची हुई है
आज विश्व भर
हैवानियत भी हार गयी
क्यों हो बेख़बर!
देख मेरी दुर्दशा क्यों रुष्ट हो गये!
आज ओ अराध देव तुम किधर गये?
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