करती हूँ रिजैक्ट तुम्हें . . .
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ममता पंत15 Jul 2023 (अंक: 233, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
माँ ने कहा
“लड़का ख़ानदानी है मिल लो
समझ न आए तो मना कर देना”
“मना कर देना” वाक्य महत्त्वपूर्ण था
तो मैं आ गई मिलने तुमसे
तुम कहते हो
“मेरे स्टेटस की बात है
तुम्हें अपना स्पैक्ट्स हटा लैंस लगाना होगा . . .”
नहीं पसंद तुम्हें
मेरे चेहरे पर चश्मा
पर मेरी पसंद का क्या!
मेरी आँखों में लगा चश्मा
पहचान है मेरी
मुझे इससे एक अनूठा लगाव है
तुम्हें सहेजना होगा
मेरे लगाव को
मेरी पसंद को
और मेरी चाहतों को . . .
मैं आँखों की सर्जरी करूँ
ये मुझे मंज़ूर नहीं
मैं तुम्हें शायद सुंदर लगूँ बिना स्पैक्ट्स के
पर मेरी सुंदरता मेरे चश्मे से है
जिसके कारण
सक्षम हूँ मैं
जीवन के अँधेरे कोनों को भी झाँक पाने में
मैं कोई गाय-बैल नहीं
जिसे तुम बाँध सको
पसंद की खूँटी से अपनी
इसलिए करती हूँ रिजैक्ट तुम्हें
मुझे तलाश है
जीवनसाथी रूप में ऐसे सखा की
जो मन की बात को समझ
परख सके उसकी सुंदरता को
ऐसे अदद मित्र की तलाश
जो बुरे वक़्त में खड़ा हो साथ मेरे
और कह सके कि
“तुम परेशान क्यों हो मैं हूँ ना”
जो तुम कदापि नहीं हो सकते
तुम्हें तो प्रिय है
अपना स्टेटस!
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Harshita Bohra 2023/10/13 02:16 PM
Wonderful ma'am ❤️