घुटन
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ममता पंत15 Jul 2023 (अंक: 233, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
दुराचार की ख़बर के साथ
अतीत का वह पुराना घाव
फिर हो जाता है हरा
रिसता है पस पुनः
मनो-मस्तिष्क पर
हृदय पर पड़ते हैं
वही आघात
उसकी पीड़ा को महसूस कर पाती है एक स्त्री ही
उसकी घुटन
होती है सम्पूर्ण स्त्री जाति की घुटन
जिससे निकलने के बाबत
खड़ी होती है जब पहले-पहल
बोलती है अपने लिए तो
कठिन हो जाता है जीवन कितना
यह वही जानती है . . .
लेकिन
इस घुटन को झेलना औ' उससे उबरना भी
होता है उसी के हाथ में . . .
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