अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

कृष्ण संग खेलें फाग

नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग राग 
भाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेलें फाग 
    सूर्य किरण सलोने से छन कर 
    भूमि पर करे सुन्दर अल्पना 
    बृज धरा केशव रंग में रँगकर 
    देखो स्वर्ण भई आज 
ग्वाल बाल गोविन्द संग नृत्यकला सीखें 
पाताल हर्ष विभोर हो जब 
हरिचरण दें थाप 
    गैयाँ रम्भाकर गल घंटियाँ छनकाएँ 
    ताल मिलाकर ध्वनि से मिलाएँ थाप से थाप 
मनमोहक मधुर छवि श्याम को सुन्दर बनाएँ 
हर गोपी ख़ुद मदन भई सुधबुध सारी बिसराई 
मुरली ध्वनि ने देखो वो मोहपाश फेंका आज
    मनोहर की छवि से चकित केवल नर-नारी ही नहीं 
    जमुना-तट गोवर्धन पर्वत पुष्प तरू लता मोरपंख 
    कोई भी स्वयं के बस में नहीं आज 
राधिका माधव संग बैठ झूला झूलें 
प्रेम पेंग बढ़ा कर गगन छू लें आज
    नन्दगोपाल यादवेन्द्र मुरली मनोहर श्याम 
    उसी रूप में सब संग रंग खेलें 
    जिसने जो दिए उनको नाम 
नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग राग 
भाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेलें फाग

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

कविता - क्षणिका

विडियो

ऑडियो

उपलब्ध नहीं