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कृष्ण संग खेलें फाग

नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग राग 
भाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेलें फाग 
    सूर्य किरण सलोने से छन कर 
    भूमि पर करे सुन्दर अल्पना 
    बृज धरा केशव रंग में रँगकर 
    देखो स्वर्ण भई आज 
ग्वाल बाल गोविन्द संग नृत्यकला सीखें 
पाताल हर्ष विभोर हो जब 
हरिचरण दें थाप 
    गैयाँ रम्भाकर गल घंटियाँ छनकाएँ 
    ताल मिलाकर ध्वनि से मिलाएँ थाप से थाप 
मनमोहक मधुर छवि श्याम को सुन्दर बनाएँ 
हर गोपी ख़ुद मदन भई सुधबुध सारी बिसराई 
मुरली ध्वनि ने देखो वो मोहपाश फेंका आज
    मनोहर की छवि से चकित केवल नर-नारी ही नहीं 
    जमुना-तट गोवर्धन पर्वत पुष्प तरू लता मोरपंख 
    कोई भी स्वयं के बस में नहीं आज 
राधिका माधव संग बैठ झूला झूलें 
प्रेम पेंग बढ़ा कर गगन छू लें आज
    नन्दगोपाल यादवेन्द्र मुरली मनोहर श्याम 
    उसी रूप में सब संग रंग खेलें 
    जिसने जो दिए उनको नाम 
नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग राग 
भाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेलें फाग

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