मेरे होने का दस्तावेज़ है तू
काव्य साहित्य | कविता पूनम चन्द्रा ’मनु’15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
तुझसे बड़ा
तुझसे रौशन
न कोई हुआ है
न होगा
ख़ुदा भी मुझ तक
तेरी दुआओं से होकर गुज़रता है
बहुत धीरे से भी पुकारूँ
तो भी मुझे सुन लेती है
जाने कैसे तू
मेरे अनकहे दर्द चुन लेती है
जहाँ मैं कमज़ोर हूँ
वहाँ मेरी ताक़त है तू
जो नज़र से बचा कर रखे
वो तावीज़ है तू
माँ
'मेरे होने' का
दस्तावेज़ है तू!
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