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तुम योद्धा हो—फिर से जन्म लो

उठो 
और फिर से जन्म लो 
तुम योद्धा हो 
तुम्हें मरने का कोई हक़ नहीं 
आँखें बंद होने पर 
एक और दुनिया में 
हम ज़िंदा हो जाते हैं 
उसी में ख़ुद को समेटो 
और उठो 
देखो भारत माता 
तुम्हें पुकार रही है 
ये धरती जिसने तुम्हें सींचा 
उस पर आकर 
फिर से साँसें लो 
और उसका रक्त संचार करो 
वीर थकते कहाँ है 
और जितनी नींद चाहिए होती है 
उतनी तुम ले चुके हो 
देखो ये तुम हो 
स्वयं के चरण स्पर्श करो 
अपनी आत्मा के तेज को निहारो 
अपनी भुजाओं में उत्तेजना भरो 
दहाड़ो और नरसिंघ बनो 
 
आज पातल धरा गगन तुम्हारी मुट्ठी में है 
हे! पर्वत पुत्र 
आज तुम स्वयं हिमालय हो 
जिस शत्रु ने तुम्हारे जाने का 
भ्र्म पाल लिया है 
उसे अपने आगमन से विचलित करो। 
उठो 
और फिर से जन्म लो 
तुम योद्धा हो 
तुम्हें मरने का कोई हक़ नहीं!

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