समय की दरकार
काव्य साहित्य | कविता सन्दीप तोमर1 May 2024 (अंक: 252, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
कोई नहीं जानता
कि कब बन्द करेगी
पृथ्वी घूमना, थम जाएगी, जम जाएगी
कि
कब सूरज प्रकाशित होना
बन्द कर देगा और
घूमने लगेगा पृथ्वी के गिर्द
कि
मिलेंगे हम
अंतरिक्ष की अन्य पृथ्वियों से
नए रिश्तों के लिए
कि
हमारा स्थिर हो जाना भी
हो जाएगा नियति
जैसे मृत्यु सत्य है
हाँ, इतना तय है कि
हर सत्य को सत्य होने में
लम्बे समय की दरकार है।
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