अनंत पथ पर
काव्य साहित्य | कविता राहुलदेव गौतम1 Aug 2023 (अंक: 234, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
एक दिन अचानक
अनंत पथ पर चले जाना है
फिर लौट कर कभी नहीं आना है!
यहाँ पर एक दिन आना है,
फिर एक दिन चले जाना है!
रह जाती है बस शिकवे शिकायत,
आदमी को शालने के लिए
रह जाती है बस कुछ यादें,
रह जाती है कुछ उलझनें
ख़ुद को सुलझाने के लिए!
पूरी उम्र का सफ़र यूँ ही एक पल में
धू-धू कर जल जाना है,
फिर लौट कर कभी नहीं आना है!
कुछ उनकी ग़लतियाँ रह जाती है
कुछ अपनी कमियाँ दुख देती है
रह जाता है पछतावे का ताना बाना है
फिर लौट कर कभी नहीं आना है!
जीवन का यह सत्य अटल है
जब तक जीवन है तब तक भ्रम है,
बस इन्हीं गलियों में भटकते रह जाना है
फिर लौट कर कभी नहीं आना है!
बस एक दिन अचानक,
अनंत पथ पर चले जाना है . . .!
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