कोई अज्ञात है
काव्य साहित्य | कविता राहुलदेव गौतम1 Jul 2021 (अंक: 184, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
तड़पता है कहीं दूर
अज्ञात में बादलों के तले
मेरे हृदय की खंडित ध्वनियाँ
भेद उर रात्रि का
उठता है धुआँ
जैसे एकांत किसी बसेरे में।
बस समेटता हूँ
क्षण-क्षण मैं
अपने शब्दों की तान
किन्तु कोई छेड़ गया है
आज भोर में ध्रुपद गान
कौन करता है प्रतिदिन
मेरे ऊपर यह एहसान
मैं फिर बँट जाता हूँ
जगह-जगह
विगत स्मृतियों पर दे ध्यान।
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