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मेरा घर

आज ऑफ़िस में काम के
सिलसिले में
मेरा मन
उचटा हुआ था।
 
घर आते वक़्त
रास्ते में सोचता रहा
चलकर आज घर में
किसी से बात करूँगा
माँ से,
पापा से,
या
पत्नी से,
बेटे से,
बेटी से,
न.. नहीं
छोटे भाई से
 
या
अपने पालतू कुत्ते
शेरू से
उसके साथ कुछ पल खेलूँगा
अठखेलियाँ करूँगा
जी हल्का हो जाएगा!
 
घर पहुँचा . . .
तो देखा
माँ तल्लीनता से
चावल बीन रही थी
धीरे-धीरे कोई
दोहा गुनगुना रही थी।
 
पापा चारपाई पर लेटे
टीवी पर,
अपना पसंदीदा सीरियल
देख रहे थे।
 
छोटा भाई
अभी-अभी
टाई सही करते हुए
गीत गुनगुनाते
कहीं चला गया।
 
मेरी धर्मपत्नी
रसोई घर में
आटा गूँधनें में व्यस्त थी।
 
बेटा सोफ़े पर लेटे
मोबाइल पर गेम खेलने में
मशग़ूल था,
शायद मेरे आने की
उसे भनक भी नहीं थी।
 
बेटी अपना चेहरा
हथेलियों पर टिकाए
ध्यान से पढ़ रही थी।
 
मेरा शेरू कुत्ता
अपना खाना खाकर
पापा के चारपाई के नीचे
आराम से सो रहा था
 
मैं अपने कमरे में
आ चुका था उदास
कुर्सी पर बैठते
यह सोचने लगा
आज बहुत दिनों बाद
मैं फिर किसी से कुछ
नहीं कह पाया . . .

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