पत्नी की मृत्यु के बाद
काव्य साहित्य | कविता राहुलदेव गौतम15 Dec 2020 (अंक: 171, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
माँ तो चली गई
मुझे छोड़कर बहुत दूर
तुम्हारे हवाले छोड़ कर करूणा!
अब तुमने भी मुझे अकेला कर दिया
तुम्हारे ना होने से
अक़्सर याद आते हैं
तुम्हारे हाथ
मेरे हाथों से बनी जली रोटियों में
याद आते हैं तुम्हारे जले हाथ
खेतों की सिंचाई में,
जब खड़ा होता हूँ अकेला मैं
तब याद आते हैं
मिट्टी से सने तुम्हारे हाथ
जब भी टूट जाता है
मेरे शर्ट का बटन
तब याद आते है
सूइयों से अठखेलियाँ करते
तुम्हारे निपुण हाथ
सर्दियों में अलाव के पास
जब ख़ामोश कुर्सी पर बैठता हूँ
तब याद आते हैं
मेरे हाथों को स्पर्श करते
तुम्हारे गर्म हाथ
रो देता हूँ जब भी
अपने ग़मों के सैलाब में
तब याद आते है
मेरे आँसुओं में फिसलते
तुम्हारे नरम हाथ
पहनता हूँ जब भी सिलवटों से भरे कपड़े
तब याद आते हैं
प्यार से सहलाते
तुम्हारे मुलायम हाथ
याद आते हैं करूणा . . .
बहुत याद आते हैं
तुम्हारे वह संबल भरे हाथ।
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