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जीवन बड़ा रचनाकार है

जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।
असत्य के शब्दों से,
सत्य का अर्थ रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


जो कभी शाश्वत हुआ न हो,
ऐसे कल्पनाओं का भरमार रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


जो बिखरा हुआ है,
ख़ुद ज़िम्मेदारियों के शृंखला में,
वो टूटे हुए सपनों का हार रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


फँस जाते है स्वयं इसमें,
लक्ष्यों का अरमान,
ऐसे जालों का जंजाल रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


ख़ुद में खो जाता है,
ख़ुद में पा जाता है,
ऐसे इच्छाओं का संसार रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


जिससे मतलब की बात निकले,
जितना जिससे परिहास निकले,
ऐसे शख़्सों का अम्बार रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


पल में रूप,
पल स्वरूप,
ऐसे सच-झूठ का नक़ाब बुनता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।


जितना घावों में ठीक लगे,
उतना ही गुनगुना लेता है,
ऐसे ही नग़मों की आवाज़ रचता है।
जीवन क्षण-क्षण,
स्वांग रचता है।

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