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समय के थमने तक

किसी का इंतज़ार है और रहेगा
समय के थमने तक! 
हम एक-दूसरे के सामने आयेंगें
हवाओं की ठंडी तासीर में
चाँदनी से पगी रातों में
सितारों से सजे आसमान में
कुछ अधूरी बातों में
कुछ बिना बातों में
कुछ सपनों के सच में
कुछ यूँ ही बिन कहे, 
चाहतों की गहराइयों में
कुछ छलनी-छलनी जज़्बातों में
कुछ बिखरी-बिखरी सी यादों में
कुछ दर्द की टूटन में
कुछ उम्मीद कुछ उलझन में
कुछ खिड़कियों की सुबह में
ग़ज़ल की एक शाम में
मन की रफ़्तार में
क़दमों के अहिस्ता अहिस्ता में
खुली तेरी नज़रों में
बंद तेरे होंठों में
हम एक-दूसरे के सामने आयेंगें
जब आना तुम 
तुम्हें, मैं अपनी एक कविता कहूँगा
जिसका मैं शब्द-शब्द रहूँगा
जिसका तुम अर्थ-अर्थ रहना
बस तुम आना आग की तरह
मैं मोम की तरह सिमट आऊँगा
हम रौशन करेंगे इसी से
अपने गुज़रे हुए उम्र के 
एक-एक अँधेरे को! 
हाँ, तुम्हारा इंतज़ार है और रहेगा
समय के थमने तक . . .! 

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