शिव आराधना
काव्य साहित्य | कविता सरिता गोयल15 Aug 2022 (अंक: 211, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
इस बार तो मेरी भी सुन लो,
सुन लो तुम कृपानिधान।
इस सावन ख़ाली न रहेगी झोली मेरी,
रखकर सिर पर हाथ मुझे दे दो वरदान।
आशुतोष कहते हैं तुझको,
सुना है, तुम जल्दी ख़ुश हो जाते हो।
मैं बजा रहा हूँ शंख बरसों से,
सुध लेने क्यों नहीं आते हो।
सुनता हूँ मैं लोगों से,
तुम हो देवों के देव।
सब्र नहीं होता अब मुझसे,
सुनलो अब मेरी महादेव।
और सुना है लोगों से,
क्रोधित हो तो ताण्डव कर्ता तुम,
और प्रसन्न हुए तो आशुतोष हो।
पवित्र हृदय के उद्धार कर्ता तुम,
छ्ल-दंभ-द्वेष के लिए साक्षात् रोष हो।
तुम भोले भंडारी, अविनाशी,
और तुम्हीं हो घट-घट वासी।
इस बार के इस पावन सावन में,
कर दो मेरी भी दूर उदासी।
हाथ जोड़ विनती करूँ,
सुन लो कृपानिधान।
दिल मेरे में विश्वास सदा हो,
और होंठों पर नित्य रहे मुस्कान।
इस बार तो सुन लो कृपानिधान।
इस बार तो सुन लो . . .
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं