काग़ज़ी शिक्षा
काव्य साहित्य | कविता अंजलि जैन शैली1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
अर्थकारी वैज्ञानिक शिक्षा के स्रोत
परिसीमित निश्चित दायरे में
मानो
कृत्रिम जलाशय से हैं,
कमल खिले भी तो
सड़न की संभावनाएँ ही
पल्लवित कर रहे हैं,
कृत्रिम हो या प्राकृतिक
मन मस्तिष्क को सक्रियता की
शीतल फुहारा-सी राहत दे तो सही, तभी
परमार्थकारी सांस्कृतिक, नैतिक शिक्षा का
वेतनमान होगा—
स्वस्थ परिवार, समाज, राष्ट्र व देश
एक सुखद परिणाम होगा!!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता-मुक्तक
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं