आजकल इन पहाड़ों के रास्ते
काव्य साहित्य | कविता डॉ. मनीष कुमार मिश्रा1 Apr 2015
आजकल इन पहाड़ों के रास्ते
शाम को कोहरे से भरे होते हैं
जैसे मेरा मन
तेरी यादों से भरा होता है।
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