महाकुंभ
काव्य साहित्य | कविता डॉ. मनीष कुमार मिश्रा15 Feb 2025 (अंक: 271, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
लाखों करोड़ों की आस्था का सैलाब होता है कुंभ
सनातन संस्कृति का तेजस्वी भाल होता है कुंभ।
जो पहुँच पाया प्रयागराज वो खंड तृप्त हुआ
न पहुँचनेवालों के लिए बड़ा मलाल होता है कुंभ।
मेला ठेला रेलम रेला साधू संत और नागा बाबा
इन सबसे भरा हुआ बड़ा ही कमाल होता है कुंभ।
यज्ञ हवन पूजा पंडाल और कथा अखाड़ों का डेरा
स्वर्ग सा ही दिव्य भव्य देदीप्यमान होता है कुंभ।
गंगा की पावन धारा में भक्ति भाव का प्रवाह सा
सत्य सनातन व धर्म ध्वजा का नाद होता है कुंभ।
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