दुनिया है तलवार दुधारी
काव्य साहित्य | कविता आशीष तिवारी निर्मल1 Jun 2022 (अंक: 206, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
सीख ले दुनियादारी निर्मल
जंग पड़ी है सारी निर्मल।
दुनिया वालों से क्या बतलाना
अपनी हर लाचारी निर्मल।
सँभल के रहना पल-प्रतिपल
दुनिया है तलवार दुधारी निर्मल।
मन में है विश्वास तो इक दिन
जीतेगा तू बाज़ी हारी निर्मल।
नोच खाने को सब आतुर हैं
मत रख सबसे यारी निर्मल।
खा जाएगी तुझको इक दिन
सच बोलने की बीमारी निर्मल।
बहकावे में आ के पागल मत बन
ख़ुद में रख थोड़ी होशियारी निर्मल।
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