मुस्कुराना आपका
शायरी | नज़्म आशीष तिवारी निर्मल1 Apr 2024 (अंक: 250, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
यूँ नज़र मिलाकर फिर वो शर्माना आपका
मुझे देख धीरे-धीरे से मुस्कुराना आपका।
रौशनी बनकर आयी हो मेरे जीवन में विभा
काम है जीवन से मेरे अँधेरे को भगाना आपका।
मेरे पास आते ही आप यूँ सकुचा सी जाती हो
मुझे भा गया इस तरह से सकुचाना आपका।
आ जाओ अब तो आप यूँ न लजाओ यारा
हाय! मुझको मार डालेगा यूँ लजाना आपका।
मेरा लिखना हो रहा है अब तो सार्थक निर्मल
गूगल करके मेरी नज़्मों को यूँ गुनगुनाना आपका।
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