बटवारा
काव्य साहित्य | कविता रचना श्रीवास्तव13 Mar 2014
घर, धन, वृद्ध आश्रम के खर्चे
यहाँ तक कि कुत्ते भी बँटे
पर पिता के त्याग, प्यार
माँ के आँसू, दूध और पीड़ा
का कुछ मोल न लगा
क्योंकि पुरानी, घिसी चीज़ों का
कुछ मोल नहीं होता
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