प्रेम बाहर पलेगा
काव्य साहित्य | कविता रचना श्रीवास्तव3 May 2012
प्यार से जन्मा
आज का दिन
आज के दिन से
जन्मेंगे
न जाने कितने प्यार
स्वीकृति
अस्वीकृति का दौर चलेगा
सभी के दिलों में
प्रेम पलेगा
कम से कम
आज के दिन तो ये होगा
अनकही भावनाओं को
शब्द मिलेंगे
ये शब्द रही बन
मंजिल की ओर चलेंगे
आज
शायद
साठसाला प्रेम भी जगेगा
होठ हिलेंगे इधर
उधर
निस्तेज पड़ी आँखों में
एक दीप जलेगा
रात की धरोहर
था जो फूल
आज दिन में खिलेगा
आज प्रेम भीतर नहीं
बाहर पलेगा
कम से कम
आज तो ये होगा
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