मुझे फेरी गॉड मदर नहीं बनना
बाल साहित्य | बाल साहित्य कहानी रचना श्रीवास्तव3 May 2012
अन्वी अपने स्कूल से, टीचर से अपने फ्रेंड्स से बहुत प्यार करती है और सभी उस को बहुत प्यार करते हैं। एक दिन वो जब स्कूल से घर आई तो बहुत खुश थी।
"माँ जानती हो मेरे स्कूल मे नाटक होने वाला है - सिन्डरैला। जानती हो माँ मुझे सिन्डरैला बनना है। और मैं जानती हूँ की मुझे जरूर यही रोल मिलेगा", अन्वी ने कहा।
पूरे दिन अन्वी बस नाटक की ही बात करती रही। न जाने क्या क्या तैयारी करती रही। क्या ड्रेस पहनेगी ये भी सोच लिया था।
दूसरे दिन जब वो स्कूल से। घर आई तो बहुत बहुत दुखी थी।
मैंने पूछा "क्या हुआ अन्वी मुँह क्यों लटका हुआ है इतना दुखी क्यों हो ?"
"माँ जानती ही मुझे फेरी गॉड मदर का रोल मिला है। मुझे नहीं करना। मुझे तो बस सिन्डरैला ही बनना है, बस “, अन्वी ने गुस्से और दुःख से कहा।
“देखो बेटा नाटक किसी एक व्यक्ति से तो हो नहीं सकता इस में कई पात्र होते हैं और सभी की भूमिका बराबर की महत्त्वपूर्ण होती है। वैसे ही तुम्हारी भूमिका भी सिन्डरैला जितनी ही अच्छी है”, मैंने समझाने की कोशिश की।
"नहीं माँ सिन्डरैला को ज्यादा सुंदर बनना है। सभी उस को देखेंगे। कोई मुझे नहीं देखेगा। मुझे नहीं करनी", और अन्वी रोने लगी।
मैंने उस को चुप करते हुए कहा, "देखो यदि तुम अपना काम अच्छे से करोगी तो सभी तुम को देखेंगे भी और तुम्हारी तारीफ भी करेंगे। अच्छा सुनो जानती हो मेरे साथ भी ऐसा हुआ था एक बार। राम वनवास पे एक नाटक हो रहा था। राम जी की कहानी मैंने तुमको सुनाई है न।“
अन्वी ने हाँ मे सिर हिलाया। वो मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी।
“उस में कैकेई का रोल मुख्य था। मैं वही रोल करना चाहती थी पर मुझे मिला मन्थरा का रोल। जानती हो न मन्थरा को।“
अन्वी ने फिर हाँ में सिर हिलाया।
“मैं तुम्हारी ही तरह बहुत दुखी थी। बहुत रोई भी थी। पर क्या करती या तो नाटक न करती या फिर मैं मन्थरा बनना स्वकार कर लेती। उस बार कहा गया था कि जो सबसे अच्छा अभिनय (एक्टिंग) करेगा उस को गोल्ड मेडल मिलेगा। मैं बहुत दुखी थी। तुम्हारी नानी मुझे समझा रही थी और मैं समझ नहीं पा रही थी। दूसरे दिन तुम्हारी नानी एक गाना गा रही थी पूरा गाना ठीक गाती पर एक जगह कुछ अजीब तरह से गा रही थी। मैं बोली ’माँ ये क्या कर रही हो ठीक से गाओ पूरा गाना ख़राब हो रहा है’। तो जानती हो तुम्हारी नानी क्या बोली, बोली कि देखो बेटा जिस तरह से गाने मे एक सुर ग़लत हुआ तो पूरा गाना ख़राब हो गया, उसी तरह से नाटक में यदि एक भी पात्र ग़लत करे, आपना डायलॉग ग़लत बोले तो पूरा नाटक ख़राब हो जाता है। जिस तरह गाने मे हर सुर महत्व रखता है उसी तरह नाटक मे हर पात्र महत्वपूर्ण होता है। तुम चाहे छोटे से रोल मे हो या बड़े रोल में, अच्छी तरह से करो तो लोग तुमहारी तारीफ जरूर करेंगे’। तुम्हारी नानी की ये बात मुझको समझ आगई। और मैंने मंथरा का रोल ले लिया। मैंने मन से और मेहनत से मंथरा का रोल किया। सभी को मेरा काम बहुत पसंद आया और जानती हो गोल्ड मेडल मुझे मिला।"
अन्वी आ के मेरे गले लग गई बोली, "माँ मैं समझ गई मैं फेरी गॉड मदर ही बनूँगी और खूब मन से अपना काम करुँगी।"
अन्वी ने फिर बहुत मेहनत की और जब उसका नाटक हुआ सब ने उसकी एक्टिंग की बहुत तारीफ की। उस को स्टेज पे बुला के प्रिंसीपल ने उस की प्रशंसा की । अन्वी ने मुझे देखा और मुस्कुरा दी ।
तो बच्चों इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है की कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता हर चीज अपनी जगह महत्वपूर्ण होती है। हम काम छोटा करे या बड़ा, मन लगा के और मेहनत से करना चाहिए ।
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