नूतन वर्ष
काव्य साहित्य | कविता रचना श्रीवास्तव3 May 2012
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है
क्या हमारे भाग्य मैं थोड़ी
शान्ति लिखवा पाया है
हर और मची है हाहाकर
इंसानियत बिक रही
सरे बाज़ार
कफ़न बेच चला रहे
सब अपना रोज़गार
हो रहे हैं हालत
बद से बदतर लगातार
मनुष्य को मनुष्यता का पाठ
क्या तू पढ़ा पाया है
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है
क्या सागर ने किया है वादा
इस वर्ष किसी को न डुबोने का?
दिया है धरती ने वचन क्या
किसी घर को न गिराने का?
बारिश ने कहा क्या
समय पर बरस जायेगी?
सूखे खेतों पर हरियाली और
किसानों के घर रोटी की
झड़ी लगायेगी?
फूलों से पराग का,
गेहूँ और गुलाब का-
क्या थोड़ा सा भी
आश्वासन लाया है?
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है
दिल मैं नफ़रत के बीज बोते हैं
सत्ता और लालच के ठेकेदार
कुछ ऐसी चालें चलते हैं
बेवज़ह, बेवक़्त की जंग में
सरहद पर तब
धरती के लाल मरते हैं
बुझ गए इस दीपमाला की
किरण क्या तू लाया है?
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है
मैं नूतन वर्ष
नया सवेरा लाया हूँ,
नई किरण, नया चाँद,
नया आसमान लाया हूँ
मैं नूतन वर्ष
नया सवेरा लाया हूँ
तुम चाहो तो
कुछ भी कर सकते हो
जैसी चाहो दुनिया
वैसी बना सकते हो
तारों की बारात
धरती पर बिछा सकते हो
ख़ुद अपना एक
आसमान बना सकते हो
पर यदि तुम चाहो तो
इसी चाह का विश्वास
मैं तुम में जगाने आया हूँ
मैं नूतन वर्ष
नया सवेरा लाया हूँ,
नई किरण, नया चाँद,
नया आसमान लाया हूँ
कुछ नई उमंग, नई तरंग,
नए साज़ मैं तुमको सुनाने आया हूँ
मैं नूतन वर्ष
नया सवेरा लाया हूँ
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अपनों के बीच भी कहाँ सुरक्षित नारी है
- अलविदा
- कल, आज और कल
- दर्द घुटन और औरत
- दुआ
- दोहरा जीवन जीते हैं हम
- नूतन वर्ष
- प्यार को जो देख पाते
- प्रेम बाहर पलेगा
- बटवारा
- बदलना चाहो भी तो
- बुधिया सोचती है
- माँ की कुछ छोटी कवितायें
- मुझ को पंख चाहिए
- मैं कुछ कहना चाहती हूँ
- मौत
- ये कैसी होली है
- विस्फोट
- शरद ऋतु
- शोर
- समीकरण
- हथेली पर सूरज
बाल साहित्य कविता
बाल साहित्य कहानी
नज़्म
कहानी
स्मृति लेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं