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नूतन वर्ष

नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है
क्या हमारे भाग्य मैं थोड़ी
शान्ति लिखवा पाया है

हर और मची है हाहाकर
इंसानियत बिक रही 
सरे बाज़ार
कफ़न बेच चला रहे 
सब अपना रोज़गार
हो रहे हैं हालत 
बद से बदतर लगातार
मनुष्य को मनुष्यता का पाठ 
क्या तू पढ़ा पाया है
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है

क्या सागर ने किया है वादा 
इस वर्ष किसी को न डुबोने का?
दिया है धरती ने वचन क्या 
किसी घर को न गिराने का?
बारिश ने कहा क्या
समय पर बरस जायेगी?
सूखे खेतों पर हरियाली और 
किसानों के घर रोटी की
झड़ी लगायेगी?
फूलों से पराग का, 
गेहूँ और गुलाब का-
क्या थोड़ा सा भी 
आश्वासन लाया है?
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है

दिल मैं नफ़रत के बीज बोते हैं
सत्ता और लालच के ठेकेदार
कुछ ऐसी चालें चलते हैं
बेवज़ह, बेवक़्‍त की जंग में
सरहद पर तब 
धरती के लाल मरते हैं
बुझ गए इस दीपमाला की 
किरण क्या तू लाया है?
नूतन वर्षा बता
नया तू क्या लाया है

मैं नूतन वर्ष 
नया सवेरा लाया हूँ, 
नई किरण, नया चाँद, 
नया आसमान लाया हूँ
मैं नूतन वर्ष 
नया सवेरा लाया हूँ
तुम चाहो तो 
कुछ भी कर सकते हो
जैसी चाहो दुनिया 
वैसी बना सकते हो
तारों की बारात 
धरती पर बिछा सकते हो
ख़ुद अपना एक 
आसमान बना सकते हो
पर यदि तुम चाहो तो
इसी चाह का विश्वास 
मैं तुम में जगाने आया हूँ 
मैं नूतन वर्ष 
नया सवेरा लाया हूँ, 
नई किरण, नया चाँद, 
नया आसमान लाया हूँ
कुछ नई उमंग, नई तरंग, 
नए साज़ मैं तुमको सुनाने आया हूँ
मैं नूतन वर्ष 
नया सवेरा लाया हूँ

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