ज़िन्दगी
काव्य साहित्य | कविता गुड़िया गौतम15 May 2022 (अंक: 205, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
रंग भरना है अब ज़िन्दगी में हमेंं,
काम करना है ज़िन्दगी में हमेंं।
सफलता पानी है ज़िन्दगी में हमेंं,
इम्तिहान देना है ज़िन्दगी में हमेंं।
ग़म में मुस्कुराना है ज़िन्दगी में हमेंं,
दुखों में हँसना है ज़िन्दगी में हमेंं।
अकेले चलना है ज़िन्दगी में हमेंं,
मंज़िल पानी है ज़िन्दगी में हमेंं।
अपनों से दूर जाना है ज़िन्दगी में हमेंं,
ख़ुद सँभलना है ज़िन्दगी में हमेंं।
अब रुकना नहीं है ज़िन्दगी में हमेंं,
अब चुप रहना है ज़िन्दगी में हमें।
रंग भरना है अब ज़िन्दगी में हमेंं,
अब ख़ुद जीना है ज़िन्दगी में हमेंं॥
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