गौतम बुद्ध
काव्य साहित्य | कविता सविता अग्रवाल ‘सवि’15 May 2025 (अंक: 277, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
वैशाख माह के पूनम के दिन
महामाया और शुद्धोधन के घर में जन्मा,
एक अलौकिक बालक सिद्धार्थ
विवेक, ज्ञान बुद्धि से पूरित
भगवान् बुद्ध है वह कहलाया
मन में थी अहिंसा, करुणा भरपूर
फैली ख्याति उनकी चहुँ ओर
विरक्त हुए सांसारिक सुख से
दिव्य ज्ञान की खोज में निकले
सोता छोड़ नन्हे राहुल को
मुड़ कर भी ना देखा पत्नी को अपनी
बोधि वृक्ष की शीतल छाया में
पाया ज्ञान जीवन दर्शन का
बुद्ध के उपदेशों में निहित है
शुद्ध हृदय रखने का मर्म
मौन रहो एकाग्रचित्त बन
यही है मूल मंत्र शान्ति का
डोर थाम सत्य की चलना
झूठ से मुँह को लेना मोड़
जीतना चाहो दिल सबका तो
प्रेम ही बाँटो चारों ओर
पा उपदेश बुद्ध का डाकू
अँगुलीमाल ने हिंसा त्यागी
बदला जीवन उसने अपना
और भक्ति की राह पकड़ ली,
चाह, सुजाता को शान्ति की
सुन उपदेश बुद्ध के उसने
पाई नई, राह संयम की
मसीहा बनो, तुम सहज हृदय से
करुणा मन से ना हो दूर
अनुशासन जीवन की कुंजी
तर्क शक्ति का ज्ञान निहित
कर्म करो जीवन में ऐसे
सहाय बनो, अशक्त, निर्धन के
भिक्षुओं की झोली में डालो
अन्न और वस्त्रों का दान
ना फेंको कटु वाणी के तीर
मिल जाए यदि पीड़ित कोई
हर्ष से हर लो उसकी पीर
दिए अनेकों उपदेश बुद्ध ने
जन-जन को सफल बनाने के
पूर्णिमा ही के दिन त्यागी देह
स्व निर्वाण को पाने में।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
कविता-सेदोका
स्मृति लेख
दोहे
बाल साहित्य कहानी
आप-बीती
कहानी
कविता - हाइकु
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं