अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी रेखाचित्र बच्चों के मुख से बड़ों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

गौतम बुद्ध

 

वैशाख माह के पूनम के दिन
महामाया और शुद्धोधन के घर में जन्मा, 
एक अलौकिक बालक सिद्धार्थ
विवेक, ज्ञान बुद्धि से पूरित
भगवान् बुद्ध है वह कहलाया
मन में थी अहिंसा, करुणा भरपूर
फैली ख्याति उनकी चहुँ ओर
विरक्त हुए सांसारिक सुख से
दिव्य ज्ञान की खोज में निकले
सोता छोड़ नन्हे राहुल को
मुड़ कर भी ना देखा पत्नी को अपनी
बोधि वृक्ष की शीतल छाया में
पाया ज्ञान जीवन दर्शन का
बुद्ध के उपदेशों में निहित है
शुद्ध हृदय रखने का मर्म
मौन रहो एकाग्रचित्त बन
यही है मूल मंत्र शान्ति का
डोर थाम सत्य की चलना
झूठ से मुँह को लेना मोड़
जीतना चाहो दिल सबका तो
प्रेम ही बाँटो चारों ओर
पा उपदेश बुद्ध का डाकू
अँगुलीमाल ने हिंसा त्यागी
बदला जीवन उसने अपना
और भक्ति की राह पकड़ ली, 
चाह, सुजाता को शान्ति की
सुन उपदेश बुद्ध के उसने
पाई नई, राह संयम की
मसीहा बनो, तुम सहज हृदय से
करुणा मन से ना हो दूर
अनुशासन जीवन की कुंजी
तर्क शक्ति का ज्ञान निहित
कर्म करो जीवन में ऐसे
सहाय बनो, अशक्त, निर्धन के
भिक्षुओं की झोली में डालो
अन्न और वस्त्रों का दान
ना फेंको कटु वाणी के तीर
मिल जाए यदि पीड़ित कोई
हर्ष से हर लो उसकी पीर
दिए अनेकों उपदेश बुद्ध ने
जन-जन को सफल बनाने के
पूर्णिमा ही के दिन त्यागी देह 
 स्व निर्वाण को पाने में। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

कविता-सेदोका

स्मृति लेख

दोहे

बाल साहित्य कहानी

आप-बीती

कहानी

कविता - हाइकु

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं