सविता अग्रवाल ‘सवि’ - सेदोका - 001
काव्य साहित्य | कविता-सेदोका सविता अग्रवाल ‘सवि’1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
1.
केसरी धूप
जलाशय नारंगी
क्षितिज पर सूर्य
खड़ा डूबने
संध्या का आगमन
केसरिया चमन।
2.
पुत्र हमारा
शत्रु को ललकारा
मृत्यु तक न हारा
देश का प्यारा
बलिदान सहारा
चमकता वो तारा।
3.
चिर नवीन
शान्ति के देवदूत
काता प्रकाश सूत
पूर्ण इकाई
अहिंसा के पुजारी
मनुजत्व सपूत।
4.
दिशा भरम
भटक गए हम
नापते हैं दूरियाँ
पाने-मंज़िल
मिलती ना डगर
लंबा है ये सफ़र।
5.
पथ भटका
बर्फ़ से ढकी राहें
मंज़िल कैसे पाएँ?
चीखती हवा
पागल बन-भागे
ढूँढ़ रही सुकून।
6.
अश्रु टपके
नयनों से बिछड़े
कपोलों पे अटके
हाथ ने छुए
संवेदना में ढले
अहसासों में बसे।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
कविता-सेदोका
स्मृति लेख
दोहे
बाल साहित्य कहानी
आप-बीती
कहानी
कविता - हाइकु
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
प्रीति अग्रवाल 2023/09/25 09:47 AM
अश्रु टपके.., वाह! बेहतरीन सेदोका, सुंदर सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई सविता जी।