नूतन वर्ष
काव्य साहित्य | कविता सविता अग्रवाल ‘सवि’21 Dec 2015
हो गया अवसान वर्ष का
नूतन वर्ष का शुभागमन
बीत गया एक वर्ष पुराना
देकर अपने हार सुमन
काल देहरी पर प्रातः वेला
लेकर आयी नयी तरंग
कोसी कोसी धूप खिली है
गरमाती घर का आँगन
सुरों में बजती मधुर बांसुरी
आशाएँ लें नव आकार
ना कोई पीड़ा ना कोई ग़म हो
दिशा दिशा में हो झंकार
पक्षी झूमें भवरें गायें
उल्लासों का हो भंडार
नए सूर्य की आभा जैसा
जुड़ता जाये नया दिवस
लहराए खेतों में सरसों
महकाए वन और उपवन
नए पृष्ठ पर रोज़ लिखें हम
नव वर्ष तेरा अभिनन्दन॥
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