नव वर्ष से आशाएँ
काव्य साहित्य | कविता सविता अग्रवाल ‘सवि’20 Dec 2014
नव वर्ष तुम्हारे स्वागत में जुटा है संसार
अपने तीनसौ पैंसठ मित्रों संग, तुम आओ
और ले आओ ढेर सी खुशियाँ और प्यार
हर मित्र चुन चुन कर है तुम्हें लाना
आतंकियों और बैरियों को पीछे छोड़ कर
केवल सुहृद और नम्र को गाड़ी में बिठाना
बहुत हुए हैं बीते वर्ष अत्याचार
नारी और बच्चों के संहार
आयी हैं प्राकृतिक आपदाएँ भी
प्रार्थना है हमारी तुमसे इस वर्ष
इन सभी विपदाओं से मुक्ति दिलाना
कार्य बड़ा है तुम्हारे लिए नव वर्ष
हर मित्र को चुनना है, समझना है
पर विश्वास है हमें तुम पर
इस वर्ष तुम कुछ तो कर पाओगे
अपने अच्छे मित्रों से हमारा परिचय कराओगे
जन-जन के दहशत भरे हैं जो मन
मसीहा बन, उनके होंसले बँधाओगे
फैला हुआ है जो विषैला फन
मैले हुए हैं जाति भेद से मन
जंजीरों ने जकड़ रखा है जीवन
उन्हें काट नव जीवन की राह दिखाओगे
रुढ़िवादिता की जड़ें काट कर
फिर नए वृक्ष तुम उगाओगे
आशाएँ हैं अनेकों तुमसे इस वर्ष
तुम सबका समाधान लेकर
झूमते लहराते फिर तुम आओगे।
फिर तुम आओगे।
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