हास्य
काव्य साहित्य | कविता भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण'3 May 2012
तुमने भी तो जीवन के संग कितना बड़ा हास्य कर डाला
हमने भी तो ईंधन जैसा जला दिया बस प्रण कर डाला।
नहीं बहाईं इन कूलों से गंगा यमुना की धारायें
थाम लिया था ज्वार डगर में कैसे ढुलता वह फिर प्याला॥
सोचा था सब भस्म हो गई अपने अरमानों की काया
भस्म उड़ी सब ओर गई जैसे गीतों की बन स्वर बाला।
जिन्हें नहीं था विदित उन्हें भी इसका आभास हो गया
बस प्रसंग छिड़ गये कि तुमने क्यों ऐसा वैसा कर डाला।।
क्या करता जो नीड़ बनाया जिसको हिय में सदा सजाया
उसी नीड़ की देहरी पर तुम आ न सके लेकर वर माला
साँझ उदास निशा विरहिन सी तुम्हे निहारे खड़ी दुआरे
प्रातः की उजली चादर पर भी न मिला पग सुघर निराला
हाथ छुटा पर स्मृति देखो नहीं मिटी है अब तक उनकी
जिस से जीवन का हर कोना था उमंग भरकर मतवाला
जीवन का वह हास्य अरे परिहास बना है अब तक देखो
हर प्रण को ठुकरा कर तुमने विश्वासों का वध कर डाला।
मैं न लिखूँ तो जग लिख देगा तेरी मेरी वह कथा कहानी
मैंने तो लिख लिख कर सारा सूक्ष्म सूक्ष्म सा शब्द सम्हाला
फिर भी मन में व्यथा बहुत है जिसको अब तक हर पल पाला
मुझसे कहते लोग अरे कुछ और लिखो ना दुखकर छाला
सोचा था कुछ और लिखूँ पर नही लेखनी चली उस डगर
बोझिल बोझिल पाँव पलट आ बैठी भीतर शब्द रसाला
बोलो कैसे लिखूँ प्रिय जन तुम ही कहो हर इधर उधर की
जिसमे भाव प्रगट न होते जिसमे कहीं न हो स्वर माला
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अंतर पीड़ा
- अनुल्लिखित
- अभिवादन
- अर्चना के पुष्प
- आस्था
- एक चिंगारी
- एक दीपक
- कठिन विदा
- कदाचित
- काल का विकराल रूप
- कुहासा
- केवल तुम हो
- कौन हो तुम
- चातक सा मन
- छवि
- जो चाहिये
- ज्योति
- तुषार
- तेरा नाम
- दिव्य मूर्ति
- नव वर्ष (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- नवल वर्ष
- नवल सृजन
- पावन नाम
- पिता (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- पुष्प
- प्रलय का तांडव
- प्रवासी
- प्रेम का प्रतीक
- भाग्य चक्र
- मन की बात
- महारानी दमयन्ती महाकाव्य के लोकापर्ण पर बधाई
- याद आई पिय न आये
- लकीर
- लगन
- लेखनी में आज
- वह सावन
- विजय ध्वज
- वीणा धारिणी
- शरद ऋतु (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- श्रद्धा की मूर्ति
- स्मृति मरीचि
- स्वतन्त्रता
- स्वप्न का संसार
- हास्य
- हिन्दी
- होके अपना कोई क्यूँ छूट जाता है
- होली आई
- होली में ठिठोली
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं