एक चिंगारी
काव्य साहित्य | कविता भगवत शरण श्रीवास्तव 'शरण'3 May 2012
इक चिंगारी भड़क भड़क कर ज्वाला बन जाती है
एक हृदय की चोट किसी को हाला बन जाती है
अपने घर में हो अपमानित वो भी किसी विदेसी से
ऐसे में घायल नाहर की ध्वनि गर्जन बन जाती है।
मंगल की अंतर पुकार निष्ठा साहस बन जाती है
स्वाधीन रहने की मन मे एक बार ठन जाती है।
स्वतन्त्रता की प्रथम आग बैरक पुर मे जल जाती है
घर घर में तन्दूर जले रोटी संदेश बन जाती है।
झांसी की रानी लक्ष्मी ने निज जौहर दिखलाया था
अंतिम स्वास लड़ी थी वह रण चन्डी बन जाती है
मंगल ने शहीद होकर ही फूँकी आज़ादी थी
कितने बलि बेदी झूले जिनकी स्मृति मन आती है।
मेरठ झांसी कानपुर लखनऊ अम्बाला औ’ दिल्ली में
मचल पड़े थे सभी भारती फिरंगी फौज छुप जाती है।
बीजारोपण हुआ था तब आज़ादी का बाग लगाने को
आज उसी की छाया में धरती उनके गुन गाती है।
अठारह सौ सत्तावन की चिंगारी फैल गई धीरे धीरे
रहा प्रयास निरंतर जारी वह चिंगारी न बुझ पाती है।
लाला लाजपत भगत राज गुरू चन्द शेखर बलिदानी
बापू की अहिंसा नीति फिर भारत स्वतंत्र करवाती है।
छोड़ो भारत का नारा फिर गूँजा गगन मझारी था
आज़ादी की लहर हर तरफ लहर लहर लहराती है।
सर पर बाँध कफ़न अपने निकल पड़ी बालायें थी
ध्वस्त फिरंगी राज हुआ आज़ादी भारत में आती है।
नमन उन्हें भी है मेरा जिनको कोई जान नहीं पाया
ओ भारत पर बलिदानी तेरे त्याग की स्मृति आती है
सदा तुम्हारा नाम हमारे जैसा फिर कोई दोहरायेगा
स्वतन्त्रता की सुरभि सदा हर ओर महकती जाती है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अंतर पीड़ा
- अनुल्लिखित
- अभिवादन
- अर्चना के पुष्प
- आस्था
- एक चिंगारी
- एक दीपक
- कठिन विदा
- कदाचित
- काल का विकराल रूप
- कुहासा
- केवल तुम हो
- कौन हो तुम
- चातक सा मन
- छवि
- जो चाहिये
- ज्योति
- तुषार
- तेरा नाम
- दिव्य मूर्ति
- नव वर्ष (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- नवल वर्ष
- नवल सृजन
- पावन नाम
- पिता (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- पुष्प
- प्रलय का तांडव
- प्रवासी
- प्रेम का प्रतीक
- भाग्य चक्र
- मन की बात
- महारानी दमयन्ती महाकाव्य के लोकापर्ण पर बधाई
- याद आई पिय न आये
- लकीर
- लगन
- लेखनी में आज
- वह सावन
- विजय ध्वज
- वीणा धारिणी
- शरद ऋतु (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- श्रद्धा की मूर्ति
- स्मृति मरीचि
- स्वतन्त्रता
- स्वप्न का संसार
- हास्य
- हिन्दी
- होके अपना कोई क्यूँ छूट जाता है
- होली आई
- होली में ठिठोली
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं