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नव वर्ष (भगवत शरण श्रीवास्तव)

वर्ष आते हैं वर्ष जाते हैं, 
हम सदा इसके ही गीत गाते हैं।
इसके आने की और जाने की, 
हम तो केवल मुहर लगाते हैं।
छोड़ जाते हैं हमको पीछे जो, 
बनके वह याद क्यूँ सताते हैं।
पुष्प मुखरित हुआ तो भ्रमर 
भी प्यार के गीत गुनगुनाते हैं॥


है नवल सब कुछ नवल संदेश 
ले हर पड़ोसी, हम बुलाते हैं।
आओ सब प्रेम का उपहार दें, 
यह नवल वर्ष हम मनाते हैं,
हम सदा शान्ति के पुजारी हैं, 
द्वेष कटुता को हम भुलाते हैं।
है यही संदेश मेरा विश्व को, 
मिलके आँतक हम मिटाते हैं॥


रो रही मायें बिलखती बेटियाँ, 
खून उनका वे क्यों बहाते हैं।
मिट गये सब हलाकू चंगेज़ी, 
नाम तेरे भी उनमें आते हैं।
अब नहीं देर तुम मिट जाओगे, 
देखलो दिन तेरे वे आते हैं।
विश्व अब न सहेगा नर संहार, 
अब तुम्हें खोजने वे आते हैं॥

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