आक
काव्य साहित्य | कविता राजेंद्र कुमार शास्त्री 'गुरु’1 Jul 2019
सुगंध ना तेरे फूलों में आए,
काम ना तू किसी के आए,
क्या-क्या तू रंग दिखाए?
हर मौसम में तू डटा रहे,
रे आक।
नित नूतन तू फले फूले,
शिव ही तेरी माया जाने,
क्यों तू उनको भाए?
सारे तुझसे डरके भागे,
रे आक।
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