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चार चाँद जीवन की होली में

हमारा सम्पूर्ण जीवन ही
होली के त्यौहार सा है
जिसमें न जाने कितने 
चाहे अनचाहे रंगों ने 
अपने निशान छोड़े हैं। 
 
रंग हृदय पर हम सबके 
कुछ ऐसे लगे होते हैं 
जो कभी सुख तो कभी 
दुख के कारण बनते हैं 
 
रंग जो जगाते हैं सुखद अनुभूति
हम चाहते हैं वो कभी ना मिटे। 
पर रंग जो देते हैं दुःख और निराशा, 
पड़ जाते हैं धूमिल उनमें सारे सुखों के रंग। 
 
कुछ लोगों के कटु व्यवहारों और छल के
हठी रंग भी तो हम सबके हृदय पर
कभी न कभी लग ही जाते हैं। 
और इन हठी रंगों पर ही तो 
मन के बेबस नैन जब तब जाकर 
टिकते रहते हैं और भर जाते हैं रक्त से
 
उन हठी रंगों में जब मन के नैन से 
टपके रक्त मिल जाते हैं तो ये हठी 
रंग ही अमिट बन जाते हैं। 
 
इन अमिट रंगों को छुड़ाते छुड़ाते 
थक हार कर बैठने से भला है कि
इनपर चढ़ा दी जाए इक मोटी सी 
परत कुछ अलग-अलग रंगों की 
 
एक ऐसी निराली परत जिसमें 
शामिल हो रंग साहस, आशा, 
क्षमा, दया, और सबसे निःस्वार्थ प्रेम का 
 
एक और परत चढ़ाना उन हठी और 
अमिट रंगों पर और उस आख़िरी परत में
रंग मिलाना इंसानियत व नेक इरादों का
 
देखते ही देखते वो आख़िरी परत
बदल जाएगी रंग में ईश कृपा के
जो देगा एक निश्चित पहरा
दुःख के उस अमिट रंगों पर 
 
निस्संदेह तुम्हारे नेक इरादों और 
ईश कृपा के मिले रंगों का वह पहरा
रोकेगा दुःखद अनुभूति के रंगों को
झाँकने से जबरन मन की आँखों में। 

फिर देखते रहना तुम हृदय पर लगे 
अतीत, वर्तमान व भविष्य के लिए 
सँजोए सुखद रंगों को
और लगाना चार चाँद जीवन की होली में। 

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