दाग़ के साथ भी चमकना बड़ा अच्छा लगता है
काव्य साहित्य | कविता बीना राय1 Sep 2021 (अंक: 188, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
छुपकर चाँद सा निकलना
बड़ा अच्छा लगता है
चाँद सा घटना बढ़ना
बड़ा अच्छा लगता है
दाग़ के साथ भी चमकना
बड़ा अच्छा लगता है
चाहे जितनी भी तमस हो
मेरे जीवन की गलियों में,
सबके मन में उजास भरना
बड़ा अच्छा लगता है
दाग़ के साथ भी चमकना
बड़ा अच्छा लगता है
हरदम एक सा रहने से
कुछ उबासी होती है
मुझको चाँद सा बदलना
बड़ा अच्छा लगता है
दाग़ के साथ भी चमकना
बड़ा अच्छा लगता है
यूँ तो दरमियाँ तेरे मेरे
एक फूल भी नहीं रुचे
फिर भी मिलन की बेला में
शब भर चाँद का ठहरना
बड़ा अच्छा लगता है
दाग़ के साथ भी चमकना
बड़ा अच्छा लगता है
जब नहीं तुम मेरे साथ
बहक जाए मेरे जज़्बात
हाल-ए-दिल चाँद से कहना
बड़ा अच्छा लगता है
दाग़ के साथ भी चमकना
बड़ा अच्छा लगता है
बुलंदियों के बाम जाने पर
जब ज़माना मुझसे जले
चाँद सा ख़ामोश रहना
बड़ा अच्छा लगता है
दाग़ के साथ भी चमकना
बड़ा अच्छा लगता है
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