शान्ति का पैग़ाम दो
काव्य साहित्य | कविता बीना राय15 Mar 2022 (अंक: 201, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
थम जाओ अब बहुत हुआ
युद्ध को विराम दो
हार ही जाने दो ना
अहं को अपने
और शान्ति का पैग़ाम दो
निरंतर लड़ते और
शस्त्र बोझ से थकते
योद्धाओं को विश्राम दो
हार ही जाने दो ना
अहं को अपने और
शान्ति का पैग़ाम दो
बचा लो प्रेम के बीजों को
जो अंकुरित होने हैं
नफ़रत के पौधों को ना
वृक्ष का मुक़ाम दो
हार ही जाने दो ना
अहं को अपने और
शान्ति का पैग़ाम दो
कर दो बेफ़िक्र डर के
साये में जीने वालों को
अपने शौर्य को इतिहास में
एक नया आयाम दो
हार ही जाने दो ना
अहं को अपने और
शान्ति का पैग़ाम दो
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Shubham Gautam 2022/03/07 07:10 PM
Yes, this should be stopped otherwise it will affect the whole world and will be proved very hazardous and dangerous for all of us........................................ Please stop these all, please try to maintain the peace and decoram of the world, please please please...