लम्बी बीमारी के बाद
काव्य साहित्य | कविता अशोक गुप्ता1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
जले से पेड़ों
की काली उदास उँगलियाँ
अब आसमान की ओर
नहीं उठ रहीं
नन्ही कोमल हरी पत्तियाँ
बारिश में फूट पड़ी हैं
और ताज़ी नहाई
हवा के संग
थिरक रही हैं
ओस सी भीगी पहाड़ी की
ढलान की हरी घास
पर छाये हुए
हज़ारों डेहलिया
गुलाबी, लाल,
मैजंटा, नारंगी
एक साथ झूम रहे हैं
अब फिर बसंत आई है
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