क्वांटम एंटैंगल्ड
काव्य साहित्य | कविता अशोक गुप्ता1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
जहाँ भी जाओ
चाहे कितनी भी दूर
इस ब्रह्माण्ड में
या फिर उससे भी आगे
अगर तुम
ज़रा सी भी
एक प्लैंक भी हिलोगी
मुझे मालूम हो जायेगा
क्योंकि मैं भी
अनायास
उतना ही हिल जाऊँगा
(1 प्लैंक = 1.6/00000000000000000000000000000000000 मीटर)
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