कठपुतली
काव्य साहित्य | कविता आशीष कुमार15 Mar 2025 (अंक: 273, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
उँगलियों के इशारों पर नाचती
धागों से बँधकर इठलाती
काया जिनकी दुबली पतली
खेल दिखाती वह है कठपुतली
अपने मन का कुछ ना कहती
पर सबके मन को है छूती
सदियों की परंपरा दिखलाती
रंग रँगीली वह है कठपुतली
रजवाड़ों का इतिहास बताती
युद्ध कला के करतब दिखलाती
मानो तलवारें निकली हों असली
शूरवीर सी जँचती वह है कठपुतली
प्रेम भरी कहानियाँ सुनाती
दो दिल एक जान बताती
दिलवालों की बजाती डफली
प्यारी प्यारी वह है कठपुतली
नृत्य शैली से बरबस मोहती
दिल के तार कसकर जोड़ती
मन करे कर लूँ अदला बदली
मैं भी नाचूँ बन कठपुतली
अंत:करण के पुट घोलती
भाव-भंगिमा सब कुछ बोलती
क़ायल अपना बनाने निकली
हसीन अदाकारा कठपुतली
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