मुझे हँसते हुए विदा कर
शायरी | नज़्म आशीष कुमार15 Jun 2022 (अंक: 207, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
न रो ऐसे लिपट कर
मुझे हँसते हुए विदा कर
आख़िरी सफ़र है यह मेरा
मुकम्मल होने की दुआ कर
आख़री मिलन था तुझसे
सच्चाई से आँखें ना मूँदा कर
सँभाल अपने दिल को
मेरे दिल को अब जुदा कर
मेरी रुख़स्ती के ग़म को
यूँ सीने में ना सिया कर
मेरे बाद भी जहां है
ख़ुशी-ख़ुशी जिया कर
सभी ज़ख़्मों को धो डाल
उन्हें नासूर ना किया कर
थोड़ी हक़ीमी तू भी जान ले
शिद्दत से उनकी दवा कर
तेरा वक़्त बनेगा मरहम
ख़ुद को वक़्त दिया कर
मेरी चिंता छोड़ दे
ख़ुद की ख़बर लिया कर
फ़क़ीरी में दिन हैं गुज़ारे
बादशाहों सा हक़ अदा कर
न रो ऐसे लिपट कर
मुझे हँसते हुए विदा कर
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