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जैसी करनी वैसी भरनी

टिकट कटा एक नेता जी का
पड़े हुए थे बिल्कुल बेजान
चार काँधों का मिला सहारा
पहुँचा दिए गए श्मशान
 
यमदूत जा रहे थे लेकर
आत्मा कर चुकी थी प्रस्थान
हसरत थी स्वर्ग की उनको
पर मिला यमपुरी में स्थान
 
भारी भीड़ लगी पड़ी थी
नेता जी थे अंतिम पायदान
कर्मों के लेखे जोखे से वहाँ
चित्रगुप्त कर रहे थे मिलान
 
नेता जी की बारी आई
तन कर खड़े लिए मुस्कान
देने लगे भाषण वहाँ भी
गिना दिए अपने अनगिनत काम
 
यमराज डपट कर बोले
बताओ इसकी असली पहचान
सचमुच कर्तव्य निभा कर आया
या फिर है ये पाखंडी बेईमान
 
चित्रगुप्त ने खाता खोला
हुआ बड़ा भारी अपमान
कुकर्मों की सूची थी लंबी
भाषणबाज़ी बस इनकी शान
 
जैसी करनी वैसी भरनी
यमराज ने दिया फ़रमान
आश्वासन इसको भेंट में देना
भाषण ही कराओ जलपान
 
दर्द की जब इंतहा बताए
बंद कर लेना आँख-कान
नर्क विभाग का चक्कर लगवाना
यही है इन जैसों का निदान

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