सूरज
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु आशीष कुमार1 Oct 2022 (अंक: 214, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
सूरज हूँ मैं
प्रकाश बिखेरता
तम मिटाता
सौर मंडल
गतिशील रहता
परिक्रमा में
ऊर्जा स्रोत हूँ
संचरण करता
जोश भरता
जीव जगत
निर्भर मुझ पर
जीवन हेतु
वंदनीय हूँ
साक्षात् देवरूप
आशीष देता
मैं अटल हूँ
कर्तव्य पथ पर
धैर्य ना खोता
गुरु भी हूँ
हनुमान सा वीर
पैदा करता
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